what is complete blood count test in hindi

पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) क्या है?
पूर्ण रक्त गणना (Complete Blood Count, CBC) वह जाँच होती है जिसमें रक्त में पाई जाने वाली सभी कोशिकाओं की जांच की जाती है। जिनमें सबसे मुख्य हैं लाल रक्त कणिकाएं (RBC), सफ़ेद रक्त कणिकाएं या कोशिकाएं (WBC) और प्लेटलेट्स (Platelets)। डॉक्टर इन सभी की जाँच आपमें उभरे लक्षणों जैसे थकावट, बेहोशी या चोट के आधार पर करता है। इस टेस्ट के द्वारा किसी भी व्यक्ति में होने वाली कई समस्याओं का पता लगाया जा सकता है, जैसे खून की कमी(Anemia), संक्रमण या कुछ अन्य बीमारियां

(CBC) इन चीजों की जानकारी के लिए किया जाता है:

सफेद रक्त कोशिका (डब्ल्यूबीसी, ल्युकोसैट) की गिनती: WBC शरीर को संक्रमण से बचाती है। यदि शरीर में कोई बैक्टीरिया पैदा होता है, तो ये सफेद रक्त कोशिकाएं क्रियाशील हो जाती हैं और बेक्टिरया, वायरस और दूसरे विषाणुओं पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देती हैं। सफ़ेद रक्त कणिकाएं, लाल रक्त कणिकाओं से बड़ी होती हैं। लेकिन इनकी संख्या लाल रक्त कोशिकाओं से कम होती हैं। जब किसी व्यक्ति को बैक्टीरिया से संक्रमण हो जाता है तो यह कोशिकाएं उन्हें फटाफट खत्म कर देती हैं। इसीलिए कभी-कभी सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की जांच शरीर में कैंसर जैसी बीमारी में यह देखने के लिए की जाती है, कि उपचार का इस बीमारी पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
सफ़ेद रक्त कोशिकाओं के कुछ प्रकार: इन कोशिकाओं के प्रकार इस तरह से हैं, न्यूट्रोफिल, लिम्फोसाइटों, मोनोसाइट्स, इयोस्नोफिल्स, बेसोफिल और अपरिपक्व न्यूट्रोफिल यह भी इसी टेस्ट का एक हिस्सा होते हैं। इनमें से हर एक कोशिका शरीर में संक्रमण के खिलाफ अलग-अलग भूमिकाएं निभाती हैं। साथ ही इन कोशिकाओं की रक्त में मात्रा से भी शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता का पता चलता है। रक्त में बहुत ज्यादा या बहुत कम रक्त कोशिकाओं के होने से अलग-अलग प्रकार की एलर्जी और संक्रमण दवाइयों के दुष्प्रभावों जैसे ल्यूकीमिया (Leukaemia) का पता चलता है।
लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) गणना: लाल रक्त कणिकाओं का कार्य ऑक्सीजन को फेंफड़ों समेत पूरे शरीर में फैलाना है। इसके अलावा यह कार्बनडाईऑक्साइड को भी शरीर से वापस फेफड़ों में ले जाती हैं और फेंफड़े उन्हें सांसों के द्वारा बाहर छोड़ देते हैं। यदि शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की कमी हो जाए तो इसे एनीमिया यानी खून की कमी कहा जाता है। लाल रक्त कणों के कम होने से ऑक्सीजन भी पूरे शरीर को नहीं मिल पाती। वहीं यदि लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या ज्यादा हो जाए तो उस स्थिति को पॉलिसिथिमिया (Polisithimia) कहा जाता है। वहीं एक परिस्थिति यह भी हो सकती है कि लाल रक्त कोशिकाएं एक दूसरें से चिपक जाएं। यदि ऐसा हो जाए तो वह छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं को रोक देती हैं। इसकी वजह से भी पूरे शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।
हेमाटोक्रिट ((HST)- पैक्ड सेल वॉल्यूम, PCV): इस टेस्ट के द्वारा रक्त में उस जगह का पता लगाया जाता है जिसे लाल रक्त कोशिकाओं ने घेरा होता है। यह दर रक्त की मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं के प्रतिशत के रूप में दी जाती है। उदाहरण के तौर पर, 38 हेमाटोक्रिट का मतलब है कि रक्त का 38% लाल रक्त कोशिकाओं से बना है। हेमाटोक्रिट और हीमोग्लोबिन ऐसे दो महत्वपूर्ण टेस्ट हैं जो शरीर में एनीमिया और पोलिसिथिमिया के होने की जानकारी देते हैं।
हीमोग्लोबिन (HGB): हीमोग्लोबिन अणु लाल रक्त कोशिकाओं को भरते हैं। यह न सिर्फ शरीर में ऑक्सीजन को ले जाते हैं बल्कि कोशिकाओं का लाल रंग भी इसी की वजह से होता है। हीमोग्लोबिन टेस्ट के द्वारा रक्त में हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है, और रक्त द्वारा पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने के लिए भी यह सबसे अच्छा टेस्ट है।
लाल रक्त कोशिका सूचकांक: तीन प्रकार की लाल रक्त कोशिकाएं का सूचकांक तीन प्रकार का होता है: अतिसूक्ष्म कणों की मीन मात्रा (एमसीवी), (एमसीएचसी) मीन कणिका हीमोग्लोबिन (एमसीएच), मीन कणिका हीमोग्लोबिन एकाग्रता (एमसीएचसी)
प्लेटलेट (थ्रोम्बोसाइट) गणना: प्लेटलेट थ्रोम्बोसाइट सबसे छोटे प्रकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं। ये रक्त का थक्का बनने में महतवपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यदि किसी को खून बहता है तो प्लेटलेट आपस में चिपक जाते हैं और चिपचिपे होकर रक्त के ज्यादा बहाव को नियंत्रित करते हैं। यदि इनकी संख्या कम हो जाए तो अनियंत्रित खून बहने जैसी समस्या हो जाती है। लेकिन इनकी संख्या यदि बढ़ जाए तो इस से रक्त कोशिकाओं में रक्त का थक्का बनने की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके अलावा यह धमनियों (अथेरोस्क्लेरोसिस) को सख्त भी बना सकते हैं।
प्लेटलेट की मीन मात्रा (MPV): प्लेटलेट की मीन मात्रा, प्लेटलेट्स की औसत राशि (मात्रा) की माप करती है। मीन प्लेटलेट मात्रा का प्रयोग प्लेटलेट मात्रा अन्य कई रोगों की जानकारी के लिए भी किया जाता है।
आपका डॉक्टर आपको रक्त स्मीयर परीक्षण कराने की सलाह दे सकता है। लेकिन यह नियमित होने वाले CBC टेस्ट का हिस्सा नहीं है। इस टेस्ट में रक्त की एक बूँद को एक स्लाइड पर रखा जाता है और इसमें एक डाई मिलाई जाती है। इसके बाद इस स्लाइड को (सूक्ष्मदर्शी) माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखा जाता है। इसके बाद रक्त में कोशिकाओं की संख्या, आकर सबको देखा जाता है। यदि इसके द्वारा रक्त कोशिकाओं में उनकी संख्या, रंग आकार में कोई बदलाव दिखता है तो उसके आधार पर लुकीमिया, मलेरिया और दूसरी बीमारियों का पता लगाया जाता है।

क्यों जरुरी है पूर्ण रक्त गणना (complete blood count)?
कम्प्लीट ब्लड काउंट निम्न कारणों से किया जाता है:
  1. थकान, कमजोरी, बुखार, चोट, या वजन घटने जैसे लक्षणो के कारणों का पता लगाने के लिए।
  2. खून की कमी की जाँच के लिए।
  3. यह पता लगाने के लिए रक्तस्त्राव में कितने खून की हानि हो चुकी है।
  4. पॉलिसाइथिमिया की जांच के लिए।
  5. संक्रमण की जाँच के लिए।
  6. खून की बीमारी जैसे लेकिमिया (Leukemia) की जाँच के लिए।
  7. यह पता लगाने के लिए कि विकिरण (Radiation) उपचार और कुछ दवाइयों के साथ शरीर किस तरह से प्रतिक्रिया दे रहा है।
  8. यह पता लगाने के लिए कि असामान्य रक्तस्त्राव (Abnormal bleeding) शरीर की रक्त कोशिकाओं और काउंट्स (Blood cells and counts) कैसे प्रभावित कर रहीं हैं।
  9. सर्जरी के पहले कम और ज्यादा दरों की स्क्रीन के लिए।
  10. कुछ ख़ास प्रकार की कम या ज्यादा कोशिकाओं का पता लगाने के लिए। इस से कुछ अन्य प्रकार की स्थितियों जैसे बहुत ज्यादा इयोस्नोफिल्स (Eosinophils) होने और न होने का भी पता चल जाता है। इसकी ज्यादता मात्रा शरीर में अस्थमा या संक्रमण के होने का संकेत करती है।
  11. कम्प्लीट ब्लड काउंट को नियमित चेक अप के तौर पर भी किया जा सकता है। ब्लड काउंट टेस्ट के द्वारा स्वास्थ्य की सामान्य जानकारी मिल जाती है।


नतीजे
इस टेस्ट के द्वारा रक्त के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है, जैसे रक्त में अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं की संख्या कितनी है। खास कर लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cells), सफ़ेद रक्त कोशिकाओं (White blood cells) और प्लेटलेट के बारे में। डॉक्टर इस टेस्ट को आपके किसी भी लक्षण जैसे चक्कर आना, कमजोरी या चोट के आधार पर कर सकता है। इस टेस्ट के द्वारा अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे एनीमिया, संक्रमण, और कई कुछ अन्य विकारों के बारे में भी पता चल जाता है।

सामान्य नतीजे
यहाँ कम्प्लीट ब्लड काउंट की कुछ सामान्य दरें दी गई हैं। यह सिर्फ एक आम पैमाना है। यह नतीजे अलग-अलग लैब के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। हो सकता है कि जांच के जो नतीजे एक लैब में सामान्य हो वह दूसरी में न हो। इसीलिए डॉक्टर हमेशा इस जाँच के नतीजों के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य और उसके इतिहास के अनुसार ही ट्रीटमेंट शुरू करता है।

किसी व्यक्ति के कम्प्लीट ब्लड सेल्स की जाँच की समान्य दर काफी सारी चीजों पर निर्भर करती है, जैसे उम्र, महिला या पुरुष होना आदि। आपका डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की पूरी जाँच के लिए आपके सीबीसी की पूरी जाँच करेगा। उदाहरण के तौर पर लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) काउंट, हीमोग्लोबिन (HGB) और हिमेटोक्रिट (HCT) की जाँच किसी भी व्यक्ति में खून की कमी के लिए सबसे बेहतरीन जांच है। वहीं लाल रक्त कोशिकाओं के सूचकांक और रक्त के धब्बों द्वारा भी खून की कमी और इसके कारणों का पता लगाया जा सकता है।

यह देखने के लिए कि सफ़ेद रक्त कोशिकाएं (WBC, leukocyte) काउंट ठीक है या नहीं। धब्बों के रूप में यह कोशिकाएं कैसी दिखती हैं या नहीं। डॉक्टर सफ़ेद रक्त कोशिकाओं के दोनों ही नंबरों (WBC गणना) और (WBC अंतर) पर गौर करेगा। इस बात की जानकारी की जाएगी कि इन कोशिकाओं की संख्या बहुत ज्यादा या बहुत कम तो नहीं है। डॉक्टर इन सभी कोशिकाओं की प्रतिशतता और गणना दोनों पर ही गौर करेगा।

यहाँ प्रत्येक प्रकार की कोशिकाओं की कुछ सामान्य दरें दी गई हैं।

वहीं एक बात और ध्यान रखने योग्य है कि गर्भावस्था में इन कोशिकाओं की दरें कम या ज्यादा भी हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर हर तीन महीने में इन कोशिकाओं की दरों की जाँच करेगा।

सफेद रक्त कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी, ल्युकोसाइट) गणना

पुरुष और ऐसी महिलाएं जो गर्भवती नहीं हैं।
5,000–10,000 WBCs per cubic millimeter (mm3) or 5.0–10.0 x 109 WBCs per liter (L)

सफेद रक्त कोशिकाओं के प्रकार (WBC अंतर)

न्यूट्रोफिल:
50%–62%

बैंड न्यूट्रोफिल:
3%–6%

लिम्फोसाइटों:
25%–40%

मोनोसाइट्स
3%–7%

इयोस्नोफिल्स:
0%–3%

बसोफिल्स:
0%–1%

लाल रक्त कोशिका गणना (RBC count)

पुरुष
4.5–5.5 प्रति माइक्रोलीटर (एमसीएल) मिलियन लाल रक्त कोशिकाएं या 4.5–5.5 x 1012/लीटर (एल)

महिलाएं
4.0–5.0 प्रति एमसीएल मिलियन लाल रक्त कोशिकाएं  or 4.0–5.0 x 1012/L

बच्चे
3.8–6.0 प्रति एमसीएल मिलियन लाल रक्त कोशिकाएं  or 3.8–6.0 x 1012/L

नवजात शिशु
4.1–6.1 प्रति एमसीएल मिलियन लाल रक्त कोशिकाएं  or 4.1–6.1 x 1012/L

हेमाटोक्रिट  (HCT)

पुरुष
42%–52% या 0.42–0.52 वॉल्यूम फ़्रैक्शन

महिलाएं
36%–48% या 0.36–0.48 वॉल्यूम फ़्रैक्शन

बच्चे
29%–59% या  0.29–0.59 वॉल्यूम फ़्रैक्शन

नवजात शिशु
44%–64% या 0.44–0.64 वॉल्यूम फ़्रैक्शन

हीमोग्लोबिन  (Hgb)

पुरुष
14–17.4 ग्राम/ डेसीलीटर (जी / डीएल) या 140–174 ग्राम/ लीटर (ग्रा / एल)

महिलाएं
12–16 जी / डीएल या 120–160 ग्रा / एल

बच्चे
9.5–20.5 जी / डीएल या 95–205 ग्रा / एल

नवजात शिशु
14.5–24.5 जी / डीएल या or 145–245 ग्रा / एल

सामान्य, हीमोग्लोबिन की मात्रा हेमटोक्रिट के एक-तिहाई हिस्से के बराबर होती है।

लाल रक्त कोशिका का सूचकांक

मीन कोरपुसकुलर वॉल्यूम (MCV)—वयस्कों में
84–96 फेमटोलीटेर्स (एफ.एल)

मीन कॉर्पस्कुलर हीमोग्लोबिन (MCH)—वयस्कों में
28–34 पिकोग्राम्स (पी.जी) प्रति सेल

मीन कॉर्पस्कुलर हीमोग्लोबिन कंसंट्रेशन  (MCHC)—वयस्कों में
32–36 एक लिटर का दशमांश प्रति ग्राम (ग्राम / डीएल)

लाल कोशिकाओं की वितरण चौड़ाई (RDW)

सामान्य
11.5%–14.5%

प्लेटलेट (थ्रोम्बोसाईट) गणना

व्यसक:
140,000–400,000 प्लेटलेट्स प्रति mm3 या 140–400 x 109/L

बच्चे
150,000–450,0003 प्रति प्लेटलेट्स प्रति mm3 या  150–450 x 109/L

प्लेटलेट की मीन मात्रा (एमपीवी)

व्यसक:
7.4-10.4 mcm3 या 7.4-10.4 FL

बच्चे
7.4-10.4 mcm3 या 7.4-10.4 FL

रक्त का फ़ैलाव (blood smear)

सामान्य
रक्त कोशिकाएं आकार, रंग, और संख्या में सामान्य होंगी।

उच्च दरें लाल रक्त कोशिका (RBC)
धूम्रपान, कार्बन मोनोऑक्साइड, लंबी अवधि से चली आ रही फेफड़ों और गुर्दों की बीमारी, कुछ खास प्रकार के कैंसर, हृदय रोग, शराब, यकृत रोग, अस्थि मज्जा (Polycythemia), या हीमोग्लोबिन के कुछ खास विकार, ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह सभी कारक रक्त में ऑक्सीजन को सख्ती के साथ बांध देते हैं।
इसके अलावा कुछ और ऐसे कारण भी हैं जिनकी वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाने से लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या ज्यादा हो जाती है। ये कारण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं जैसे, उल्टी दस्त, पसीना निकलना या मूत्रवर्धक (Diuretic) दवाइयों का प्रयोग। शरीर में तरल पदार्थों की कमी के कारण जब लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ती हैं तो इस स्थिति को नकली पॉलिसिथिमिया (Spurious Polycythemia) कहा जाता है।

सफ़ेद रक्त कोशिकाएं (WBC)

सफ़ेद रक्त कोशिकाओं का रक्त में बढ़ना, संक्रमण, सूजन, शरीर के ऊतकों का नष्ट होना (दिल का दौरा), गंभीर शारीरिक या मानसिक तनाव (जैसे बुखार, चोट, या सर्जरी), गुर्दे की विफलता, लूपस, तपेदिक (टीबी), संधिशोथ, कुपोषण, ल्यूकेमिया और कैंसर के जैसी बीमारी होती है।
इनके अलावा कॉर्टिकॉस्टरॉइड का प्रयोग, कम क्रियाशील अधिवृक्क ग्रंथि (Underactive Adrenal Glands), थायराइड ग्रंथि की समस्याएं (Thyroid Gland Problems), कुछ दवाओं का प्रयोग और तिल्ली का हटना भी कुछ ऐसे कारण हैं जिनके कारण रक्त में WBC की दर बढ़ सकती है।
प्लेटलेट
अत्यधिक रक्तस्राव, या आयरन की कमी, कुछ बीमारियां जैसे कैंसर या अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में किसी प्रकार की कोई समस्या प्लेटलेट के बढ़ने के कारण ऐसा हो सकता है।

पूर्ण रक्त गणना (CBC), निम्न दरें

लाल रक्त कोशिका (RBC)

एनीमिया के कारण लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। एनीमिया, माहवारी में ज्यादा रक्तस्राव, पेट के अल्सर, पेट के कैंसर, सूजन आंत्र रोग, कुछ ट्यूमर, एडिसन रोग, थैलेसीमिया, सीसा विषाक्तता, सिकल सेल रोग, या कुछ रसायनों और दवाओं की प्रतिक्रियाओं के कारण भी हो सकता है। वहीं अगर किसी बीमारी की वजह से आपका स्प्लीन निकाल दिया गया हो तो भी RBC की दर में कमी आ सकती है।
फोलिक एसिड या विटामिन बी 12 की कमी से भी एनीमिया हो सकता है। जैसे अस्पेरनिसियस एनीमिया, एक ऐसी समस्या है जिसमे विटामिन बी 12 अवशोषित हो जाता है।
RBC सूचकांक मूल्य और ब्लड स्मीयर से एनीमिया के कारणों का पता लगाया जाता है।
सफ़ेद रक्त कोशिकाएं (WBC)
कीमोथेरेपी, अन्य दवाओं की प्रतिक्रिया, अप्लास्टिक अनीमिया, वायरल संक्रमण, मलेरिया, शराब, एड्स, लुपस, और कुशिंग सिंड्रोम के कारण सफ़ेद रक्त कोशिकाएं की संख्या में कमी आ सकती है।
इनके अलावा भी बढे हुए प्लीहा (Spleen) के कारण भी WBC की संख्या कम हो जाती है।

प्लेटलेट
प्लेटलेट का कम होना गर्भावस्था के दौरान भी हो सकता है। इसके अलावा आइडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (ITP) या कुछ अन्य कारणों से कभी-कभी प्लेटलेट्स कम बनने शुरू हो जाते हैं या नष्ट होने लगते है।
बढ़ा हुआ प्लीहा भी इसका एक कारण हो सकता है।

जाँच को प्रभावित करने वाले कारक:
कुछ ऐसे कारक जिनकी वजह से या तो आप जाँच करवाने में सक्षम न हों या फिर हो सकता है कि आपकी जाँच के नतीजे ठीक न आएं।

अगर आपके हाथो में जिससे रक्त का नमूना लिया गया है, बहुत देर तक प्लास्टिक बैंड बँधा रहे।
कुछ ऐसे दवायें जिनके प्रयोग से प्लेटलेट का स्तर घट जाए, जैसे स्टेरॉयड, कुछ एंटीबायोटिक दवाएं, थियाजिड मूत्रल, कीमोथेरेपी की दवाएं, Quinidine, और Meprobamate.
अत्यधिक सफ़ेद रक्त कोशिकाएं और ज्यादा ट्राइग्लिसराइड्स, इनकी वजह से हीमोग्लोबिन का मूल्य ज्यादा आता है जोकि गलत परिणाम हो सकता है।
कुछ प्रकार के कैंसर की वजह से प्लीहा बढ़ जाता है, जिससे सफ़ेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स की संख्या कम (Thrombocytopenia) हो जाती है।
गर्भावस्था में सामान्य तौर पर RBC की संख्या कम हो जाती है, और बहुत कम मामले ऐसे होते हैं जिनमें WBC की संख्या बढ़ जाती हो।
यह भी जानें :
सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की संख्या व्यायाम, तनाव, या धूम्रपान से 2,000 WBCs / माइक्रोलीटर (mcL) तक बदल सकती है।
बच्चो में सामान्य रूप से वयस्कों की तुलना में अधिक WBC (ल्युकोसैट) होते हैं।

कुछ और ऐसे परीक्षण हैं जो लाल रक्त कोशिकाओं के लिए किये जा सकते हैं:
एरिथ्रोसाइट अवसादन दर (ESR): ESR परीक्षण में यह देखा जाता है कि कितनी तेजी से RBC टेस्ट ट्यूब में बैठ जाते है। जब शरीर में संक्रमण या कैंसर की वजह से सूजन मौजूद हो तो RBC टेस्ट ट्यूब में सामान्य के अपेक्षा बहुत धीमी गति से नीचे बैठते हैं। CBC की जाँच सामान्य होने के बावजूद ESR परीक्षण द्वारा शरीर में सूजन की बिमारियों का पता लगाया जा सकता है।
रेटिकुलोसाइट काउंट (Reticulocyte count): इस परीक्षण द्वारा, रक्त के नमूने में अपरिपक्व लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या का पता लगाते हैं। सामान्य रूप से परिपक्व लाल रक्त कोशिकाओं की अपेक्षा अपरिपक्व लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होती है। लेकिन अगर आपको हाल ही में रक्त स्त्राव हुआ हो, या किसी अन्य कारण से परिपक्व लाल रक्त कणिकाओं की संख्या कम हुई हो तो इस स्थिति में नई लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या ज्यादा हो जाती है। यह परीक्षण कुछ प्रकार के एनीमिया का पता लगाने और उसके उपचार की जानकारी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।