वासुदेव पौंड्रक ने जब हनुमानजी पे सुदर्शन चक्र चलाया


वासुदेव पौंड्रक ने जब हनुमानजी पे सुदर्शन चक्र चलाया | Vasudev Paundrak Vs Hanumanji

श्री कृष्ण को रणछोड़ क्यों कहते हे





मुचुकुन्द त्रेता युग में इक्ष्वाकु वंश के राजा थे।मुचुकुन्द ने देवताओं का साथ देकर और दानवों का संहार किया था जिसके कारण देवता युद्ध जीत गए। तब इन्द्र ने उन्हें वर मांगने को कहा। उन्होंने वापस पृथ्वीलोक जाने की इच्छा व्यक्त की। तब इन्द्र ने उन्हें बताया कि पृथ्वी पर और देवलोक में समय का बहुत अंतर है जिस कारण अब वह समय नहीं रहा और सब बंधू मर चुके हैं उनके वंश का कोई नहीं बचा। यह जान मुचुकंद दु:खी हुए और वर माँगा कि उन्हें सोना है। तब इन्द्र ने वरदान दिया कि किसी निर्जन स्थान पर सो जाये और यदि कोई उन्हें उठाएगा तो मुचुकंद की दृष्टि पड़ते ही वह भस्म हो जायेगा।

कालयवन एक पौराणिक चरित्र है जो यवन देश का राजा था। जन्म से ब्राह्मण, पर कर्म से म्लेच्छ (मलेच्छ) था। शल्य ने जरासंध को यह सलाह दी कि वे कृष्ण को हराने के लिए कालयवन से सहायता मांगे।
मुचुकुन्द को यह वर मिला था कि जो कोई उन्हें सोते से उठायेगा वह उनकी दृष्टि पड़ते ही भस्म हो जायगा। कृष्ण ने ऐसा किया कि कालयवन मुचुकुन्द द्वारा भस्म कर दिया गया।

श्री कृष्ण को रणछोड़ क्यों कहते हे | मुचुकुन्द और कालयवन की कथा | Kalyavan or Muchukund Katha

कृष्ण और जरासंध के बीच भीषण युद्ध



 कृष्ण और बलराम ने जरासंद को परास्त किया था 

जरासंध महाभारत कालीन मगध राज्य का नरेश था। वह बहुत ही शक्तिशाली राजा था मथुरा नरेश कंस का ससुर एवं परम मित्र था उसकी दोनो पुत्रियो आसित एव्म प्रापित का विवाह कंस से हुआ था। श्रीकृष्ण से कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए युध्द कर रहा था जरासंध श्री कृष्ण का परम शत्रु और एक योद्धा था।

कृष्ण और जरासंध के बीच भीषण युद्ध | War between Jarasandh and Shree Krishna

कृष्ण ने अपने गुरु संदीपन को गुरु दक्षिणा में गुरु पुत्र को वापस लाने का वचन दिया था






गुरु संदीपन के आश्रम में कृष्ण-बलराम और सुदामा ने वेद-पुराण का अध्ययन प्राप्त किया था।कृष्ण को अद्वितीय मान गुरु दक्षिणा में संदीपन ने कृष्ण से मांगा कि उनका पुत्र पुनर्दत्त सागर में कहि खो गया था, वे उसे वापस ला दे। बलराम और कृष्ण प्रभास क्षेत्र के समुद्र तट पर गए और सागर जल से कहा कि वे गुरु के पुत्र को लौटा दें। सागर ने उत्तर दिया और बोला कि यहाँ पर कोई बालक नहीं है। सागर ने बताया कि पंचजन नामक सागर दैत्य, जो शंखासुर नाम से भी प्रसिद्ध है, उसने सम्भवतया बालक को चुरा लिया होगा। । पंचजन राक्षस की तलाश में श्री कृष्ण सागर में उतरे और उन्होंने उसका वध किया।

कृष्ण बालक की खोज में सागर में उतरे, दैत्य को तलाशा और उसे मार डाला। दैत्य का उदर चीरा तो कृष्ण को वहाँ पर कोई बालक नहीं मिला। शंखासुर के शरीर का शंख लेकर कृष्ण और बलराम यम के पास पहुँचे। यमलोक में शंख बजाने पर अनेक गण उत्पन्न हो गए। यमराज ने कृष्ण की माँग पर गुरु पुत्र उन्हें लौटा दिया। वे बालक के साथ गुरु संदीपन के पास गए और गुरु पुत्र के रूप में गुरु को गुरु दक्षिणा दी।

जब कृष्ण और बलराम पुनर्दत्त को लेने यमलोक पोहचे | शंखासुर का वध | पांचजन्य शंख की प्राप्ति | KRISHNA BALRAM MEET YAMA IN YAMLOK | | संदीपनी मुनि गुरुदक्षिणा