उत्तंक ऋषि क्रोध के कारण अमृत जल से वंचित रह गए | UTTANG RISHI KATHA | श्रीकृष्ण का उत्तंक मुनि के विश्वरूप का दर्शन कराना


उत्तंक मुनि अपने क्रोध के कारण अमृत जल से वंचित रह गए | UTTANG RISHI KATHA



श्रीकृष्ण का उत्तंक मुनि के विश्वरूप का दर्शन कराना और मरुदेश में जल प्राप्त होने का वरदान देना

महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय प्राप्ति के उपरान्त श्रीकृष्ण अपने माता-पिता से मिलने द्वारिका जा रहे थे। मार्ग में उन्हें उत्तंक मुनि मिले। यह जानकर कि युद्ध में इतना विध्वंस हुआ है, वे रुष्ट हो गये। मुनि को आशा थी कि, कृष्ण ने भाइयों में मेल करवा दिया होगा। वे कृष्ण को शाप देने के लिए उद्यत हुए पर कृष्ण ने उन्हें वस्तुस्थिति समझाकर, विप्र रूप के दर्शन करवाकर शान्त कर दिया। साथ ही वर दिया कि वे जब कभी कृष्ण को स्मरण करेंगे, उन्हें मरु प्रदेश में भी जल मिल जायेगा। एक दिन प्यास से व्याकुल उत्तंक ने श्रीकृष्ण को स्मरण किया कि, कुत्तों से घिरा हुआ एक चांडाल प्रकट हुआ, जिसके पांव के छिद्र से जल की धारा प्रवाहित थी। उसने मुनि से जल लेने का आग्रह किया। किन्तु मुनि चांडाल से जल लेना नहीं चाहते थे। वह अंतर्धान हो गया तथा श्रीकृष्ण प्रकट हुए। कृष्ण ने बताया कि उनके बहुत आग्रह करने पर इंद्र चांडाल के रूप में अमृत पिलाकर उत्तंक को अमर करने के लिए आये थे, पर मुनि ने अमृत ग्रहण नहीं किया। श्रीकृष्ण ने कहा कि भविष्य में कृष्ण को स्मरण करने पर उन्हें मेधों से जल की प्राप्ति होगी।